इस प्रणाली को दोहरी प्रविष्टि प्रणाली कहा जाता है क्योंकि सभी लेन-देन में ‘संतुलन ' होना जरूरी है अर्थात नामे और जमा पक्षों की राशि एक जैसी ही होनी चाहिए।
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इस प्रणाली को दोहरी प्रविष्टि प्रणाली कहा जाता है क् योंकि सभी लेन-देन में ‘ संतुलन ' होना जरूरी है अर्थात नामे और जमा पक्षों की राशि एक जैसी ही होनी चाहिए।
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हालांकि लेखा के खातों में दर्ज की गई जानकारी सही ही हो जरूरी नहीं थी, परिशुद्धता और सामान्यीकरण प्रभाव का संयोजन दोहरी प्रविष्टि प्रणाली में यह प्रमाणित करता है कि लेखा की पुस्तक केवल प्रभाव ही पैदा करने की प्रवृत्ति के लिए नहीं थे बल्कि सटीक हिसाब-किताब के लिए भी थे.